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Baccho Ke Liye Kahani
बहुत पुरानी बात है। एक विशाल जंगल में बहुत से पशु-पक्षी रहा करते थे। उनके बीच एक रंगीला नाम का बड़ा ही नेक हिरण भी रहता था। वह बहुत ही मेहनती मिलनसार और परोपकारी था। अपने मन कर्म और वचन से सबका ख्याल रखता था। किसी का स्वास्थ्य खराब होने पर वह हाल-चाल लेने के साथ-साथ के उपचार की भी व्यवस्था करता था। और वो जहां रहता था वहां अपने मेहनत पर चारों तरफ हरियाली फैलाए रहता था। एक बार रंगीला स्वयं बीमार पड़ गया। उसे ऐसा बुखार चढ़ा कि उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसने स्वयं कुछ जड़ी बूटियां खाई लेकिन उसे कोई लाभ नहीं हुआ। उसकी बीमारी की खबर जंगल में चुकी थी, लेकिन उसे देखने के लिए कोई नहीं आया। तब उसका मन अधिक मुरझा गया। उठा नहीं जा रहा था। फिर भी वह उठकर कुछ आगे आया। और उसने देखा दो हिरण इलाके में आकर थे। बड़ी-बड़ी हरी हरी घास खा रहे थे। उन्होंने जब रंगीला को देखा तो मुस्कुराने लगे हर रंगीला कैसी है तुम्हारी तबीयत हम तो तुमसे ही मिलने आए हैं। तुम्हारा हालचाल जानने आए हैं।
रंगीला के दोस्त: हां रंगीला हमने सुना तुम्हारी तबीयत बहुत खराब है तो हमसे रहा नहीं गया। इसीलिए चले आए हैं। अब बताओ कैसी तबीयत है?
रंगीला: तबीयत में कुछ फर्क नहीं आया है और कोई दूसरी दवा लेनी पड़ेगी।
रंगीला के दोस्त: हां-हां अच्छी दवा लेना अपना ख्याल रखना तुम आराम करो, हम चलते है।
रंगीला: रंगीला मुड़कर अपने अड्डे की तरफ चला, और यह इधर दोनों हिरण फिर से रंगीला के इलाके की हरी हरी घास खाने लगे।
D?: मैंने इस जगह के बारे में जितना सुनना था, उससे भी अच्छा पाया। रंगीला ने बड़ी मेहनत से गुलशन सजाया है। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है देखकर और खाकर तबीयत हरि हो गई। आज पेट भर कर खा लेता हूं। कल रंगीला से मिलने के बहाने फिर आऊंगा।
D? मुझे रंगीला की तबीयत से क्या लेना यह हरियाली खींच लाई है। मुझे, मैं भी तुम्हारे साथ कल आऊंगा।
D: दोनों हीरोइनों का जब पेट भर गया तो वहां से चले गए। अपने इलाके में जाकर वह रंगीला के इलाके की हरी हरी घास की तारीफ करने लगे, और भाई यहां सूखी घास खाते पड़े हो जाओ। रंगीला के दरबार में वहां चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है। वहां जाओ और रंगीला का हाल-चाल पूछो और पेट भरकर हरी हरी घास खाओ रंगीला बहुत अच्छा है, बड़ा निक है उसकी बीमार होने पर भी हमें हरी घास खाने के लिए मिल रही है। इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है?
बहुत सारी टोली की टोली बन गई। अब रंगीला के पास पहुंच गए। उसका हालचाल पूछने रंगीला को इस बात की बड़ी खुशी हुई के कितने सारे लोग उसके हाल-चाल जाने के लिए आ गए। उसके बाद का नजारा देखकर उसका सर चकरा गया। सारे हिरण उस इलाके की घास खाने में जुट गए थे। कुछ हिरण फल भी खा रहे थे। उनके पास सर उठा कर इधर-उधर देखने की भी फुर्सत नहीं थी। रंगीला बेचारा मन ही मन सोचने लगा कि यह लोग मेरे पास दो घड़ी भी नहीं रुके और खाने के लिए जुट गए। अब यही हाल रहा तो मेरे इलाके के सारे घास साफ हो जाएगी। मेरे खाने के लिए भी कुछ विशेष नहीं बचेगा। कुछ देर बाद रंगीला का एक मित्र मोनू भालू आ गया। उसे आने में देर हो गई थी।
रंगीला का नया दोस्त : माफ करना दोस्त मैं तुम्हारे लिए औषधि की तलाश में गया था और मुझे बहुत दूर जाना पड़ा औषधि मिल गई लेकिन आने में देर हो गई। इसे तुम खा लो और जल्दी से ठीक हो जाओ।
रंगीला: रंगीला ने औषधि खाई उसके कुछ समय के बाद आराम मिले लगा। उसका दोस्त मोनू के साथ ही रुका रहा। 2 दिन के बाद रंगीला की तबीयत ठीक हो गई, लेकिन उसके खाने के लिए घास बच्ची थी। ना कोई फल बचा था। उसकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया था। उदास हो गया।
D: दोस्त रंगीला मैं जानता हूं, यह मतलब का संसार है। ज्यादातर सब दोस्ती का दिखावा करते हैं। सब अपने फायदे की सोचते हैं। तुम चिंता मत करो। हम दोनों मिलकर गुलशन सजाएंगे। एक नईदुनिया बनाएंगे।
कहानी का निष्कर्ष: इस कहानी से हमें इस बात की जानकारी मिलती है कि मन में कपट रखने वाले मित्र शत्रु से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं।
एक जंगल में एक ही रन घास खाने के बाद इधर उधर कूद रहा था। वह बड़ा सरफिरा था कभी पूरब में दौर था। कभी पश्चिम में कभी उधर में ज्यादा और कभी दक्षिण में छलांग लगाता चला जाता। उसे एक खरगोश ने और समझाया हिरण भैया जरा संभल कर को जो यह जंगल का इलाका है कुछ भी हो सकता है।
D: खरगोश भैया, अपनी तो चलांग निराली है अपनी चाल मस्तानी है इस जंगल का चप्पा चप्पा मेरे कदमों की आहट पहचानता है। तुम समझे कि नहीं समझे।
hiran : मुझे लगता है तुमसे ज्यादा समझदार हो तुम्हें अब समझना मेरे ना समझी होगी इतना कहकर खरगोश वहां से खिसक गया और हिरण महाराज महाराज की उछल कूद जारी रही वो एक बार जोर से दौड़ा और दौड़ता ही चला गया अचानक सामने पत्तियों की ढेर के पीछे एक गड्ढा आ गया और रुकते रुकते फिसल गया और गड्ढे में गिर गया। और गधा बड़ा था पड़ा था इसलिए ज्यादा डर गया वह बाहर आने के लिए कूदने लगा लेकिन ए नहीं पाया उसके बाद उसने मदद के लिए गुहार लगना शुरू कर दिया। बचाओ-बचाओ-बचाओ। मैं गड्ढे में गिर गया हूं और निकल नहीं पा रहा हूं। निकलो भाई इस गरीब की पुकार सुन लो उसे गड्ढे की कुछ दूरी पर एक बंदर आ रहा था उसके कानों में आवाज पड़ी और चारों तरफ देखने लगा उसकी समझ में नहीं आ रहा था की आवाज ए कहां से रही है चारों तरफ तो कोई दिखाई नहीं दे रहा फिर यह आवाज कहां से आ रही है एक कोई भूत तो नहीं हूं, अरे मैं भूत नहीं मुझे बचा लो बड़ा उपकार होगा। अरे भाई तुम दिखाई क्यों नहीं पड़ रहे हो क्या आकाशवाणी से बोल रहे हो, अरे मैं गड्ढे के अंदर हूं तुम्हें कैसे दिखाई दूंगा, गड्ढे के पास में आओ मेरी मदद करो।
bander: बंदर के पास में पत्तियों के पास एक गड्ढा दिखाई पड़ा। धीरे-धीरे पास में पहुंच गया अंदर देखा तो हिरण महाराज मदद की विनती कर रहे थे हिरण भाई तुम गधे के अंदर कैसे पहुंच गए, भैया ना समझी के कारण बहुत बड़ा धोखा खा गया अब तो मैं अंदर हूं सही ढंग से बता नहीं सकता खरगोश ने समझाया था मैं नहीं समझ पाया था और गोटा का गया।
bander: मैं तो तुम्हें निकाल नहीं पाऊंगा अगर कोशिश करूंगा तो खुद ही गिर जाऊंगा। अब तो तुम्हें हिम्मत दिखानी होगी ऊंची चलांग लगानी होगी बहुत सारे जानवर बाहर इकट्ठा हो गए हर कोई नई नई तरकीब सोच रहा था खरगोश ने एक तरीका निकाला हिरण भाई हम लोग तो तुम्हें निकाल नहीं पाएंगे कुछ देर बाद यहां से चले जाएंगे इसके बाद एक भयानक बब्बर शेर आने वाला है सुना है बड़ा खूंखार और भूखा है यदि उसने तुम्हें देख लिया तो समझ लो सीधे ऊपर का टिकट कट जाएगा। खरगोश की बात सुनकर हिरण डर गया। प्राण के पैसे उसके अंदर ना जाने कहां से बड़ी ताकत आई उसने सांस खींचकर एक ऊंची चलांग लगाई और गधे से बाहर आ गया। बाहर आकर वह अपनी पराक्रम पर इतराने लगा यह पैतरा मेरा पुराना है कभी-कभी आजमाता हूं और लंबी चलांग लगता हूं। वह सबके सामने अपनी बधाई हक रहा था। इस समय सियार ने प्रश्न किया अरे हिरण भाई तुम्हारी नजर तो बड़ी तेज है इतना बड़ा गड्ढा तुम्हें दिखाई नहीं दिया क्या गड्ढे ने तुम्हें अंदर खींच लिया। अरे यार तुम गड्ढे में गिरे कैसे। अरे यार भाई तुमने अच्छा प्रश्न किया है मेरा दिल जीत लिया है अब मैं सही जगह पर आ गया हूं इसलिए इसका उत्तर बताने में मुझे अधिक आसानी होगी सभी लोग एक तरफ खड़े हो जाओ मैं बताता हूं कि मैं गिरा कैसे।
हां हिरण पीछे आया और जोर से दौड़ते हुए इस गड्ढे में कूद गया इसी तरह में गड्ढे में गिर गया था उसकी किसी हरकत से सभी हैरान रह गए अरे भोंदू तुमने यह क्या कर दिया अपने आप को फिर से गिरा लिया। खरगोश भाई तुम नहीं समझोगे यह अपना अंदाज है अभी फिर से चलांग लगाऊंगा और बाहर निकल आऊंगा यह कहकर हिरण में ऊंची चलांग लगाई लेकिन बाहर नहीं निकल पाया दो-तीन बार उसने कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुआ। यह हिरण दिमाग से पैदल है भला कोई गड्ढे में फिर से गिरने का प्रयोग करता है पिछली बार बच गया फिर अपने ही मूर्खता से फस गया अब तो लगता है यह गड्ढे में ही रह जाएगा। नहीं-नहीं गड्ढे में रहा तो शेर मुझे खो जाएगा तो शेर मुझे खो जाएगा मुझे बचा लो यारों बड़ी देर तक तमाशा चलता रहा हिरण कूद कूद कर गड्ढे में फिसलता रहा है इसके बाद जिराफ वहां आया और उसने गार्डन को झुकाया फिर इसके बाद हिरण को बाहर निकाल दिया गया। गड्ढे में गिरने की प्रयोग की मूर्खता दोबारा मत करना वरना अंदर ही रह जाओगे इस तरह से मूर्ख हिरण की जान बचाई गई और उसे सब जानवरों ने जंगल में भेज दिया।